Dehradun : चमोली : टनल में फंसी जिंदगी को बचाने की मुहिम जारी, रैणी गांव के लोगों ने कहा 'शाबाश SDRF' - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

चमोली : टनल में फंसी जिंदगी को बचाने की मुहिम जारी, रैणी गांव के लोगों ने कहा ‘शाबाश SDRF’

Reporter Khabar Uttarakhand
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चमोली : दैवीय आपदा के तत्काल बाद राज्य एवम देश की अनेक एजेंसियां रेस्कयू कार्य में जुटी हुई है। सेना से लेकर आईटीबीपी के जवान और एनडीआरएफ से लेकर उत्तराखंड पुलिस एसडीआरएफ जवान जी जान से मलबे में फंसे लोगों को बचाने की कोशिश में जुटे है। जहां एक और सर्चिंग कार्य जारी है तो वहीं दूसरी ओर टनल से मजदूरों को सुरक्षित निकालने का प्रयास भी युद्ध स्तर पर जारी है। रेस्कयू कार्यों के साथ ही SDRF उत्तराखंड पुलिस की सहायता एवम सर्चिंग के लिए लगातार रेणी गावँ में बनी हुई है, जहां रेस्कयू कार्यो के साथ ही ग्रामीणों के सामान को मलवे से सुरक्षित निकाला जा रहा है।

टनल में फंसी है 30 से 40 जिंदगियां

चमोली के तपोवन में टनल में फंसी जिंदगी को बचाने की मुहिम जारी है जिसमे उत्तराखंड एसडीआरएफ अहम भूमिका निभा रही है। खबर है कि 250 से 300 मीटर लंबी टनल में 30 से 40 जिंदगी फंसी है, लेकिन रेस्क्यू टीम ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। एक-एक जिंदगी को बचाने की जंग चल रही है। सोमवार सुबह जब रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ तो सबसे मुश्किल चुनौती  टनल के भीतर पहुंचने की थी क्योंकि टनल के अंदर भारी मात्रा में कीचड़ भर गया है। इसके अलावा टनल में अंधेरा भी छाया हुआ है क्योंकि बिजली की सप्लाई पहले ही ठप्प हो चुकी है। लेकिन रेस्क्यू टीम को पहली बड़ी सफलता मिली है, अब टनल के अंदर लाइट फिर से चालू हो गई है। रौशनी ना होने की वजह से कल रात रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया था, लेकिन आज भर रात में भी रेस्क्यू का काम जारी रहेगा। टनल में भरे कीचड़ को बाहर करने के लिए मशीनों की मदद ली जा रही है और राहत और बचाव कार्यों को तेज किया गया है।

एसडीआरएफ के जवानों  नेमलबा हटा कर सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया 

जोशीमठ के रैणी गाँव के वे घर जहां त्रासदी के बाद मलबा भरा हुआ था, वहां पहुंच कर एसडीआरएफ उत्तराखंड पुलिस के जवानों के द्वारा मलबा हटा कर सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया गया। खाद्यान्न की चीजों को सुरक्षित किया गया। साथ ही ग्रामीणों से उनकी समस्या भी जानने की कोशिश की गयी। एसडीआरएफ के जवानों के इस मानवीय कार्य की ग्रामीणों द्वारा सराहना की जा रही है। वहीं इन्हें उत्तराखंड के देवदूत के नाम से भी पुकारा जा रहा है। SDRF की टीमें आपदा के पश्चात से ही प्रभावितों के सामान को सुरक्षित निकालने का कार्य भी के साथ ही अन्य मूलभूत सुविधाओं को सुचारू करने का प्रयास कर रही है

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