देहरादून : उत्तराखंड कि त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट के बाद पुनर्नियुक्ति की प्रथा पर पूरे तरह से रोक लागाने का म न बना दिया है। इसके लिए मुख्य सचिव की ओर से आदेश भी जारी कर दिए हैं। आदेश के मुताबिक किसी भी विभाग में यदि कोई रिटायर्ड कर्मचारी पुनर्नियुक्ति लेता है तो विभाग इसका प्रमाण पत्र देगा कि रिटायरमेंट कर्मचारी के पद पर विभाग में कोई काम नहीं कर सकता है। यही वह नियम है, जिसके आधार पर अब उत्तराखंड में किसी भी रिटायरमेंट कर्मचारी को पुनर्नियुक्ति आसान नहीं होगी।
यहां देखें आदेश : Scan 08 Sep 2020 (1)
दरअसल, अगर कोई रिटायर्ड कर्मचारी पुनर्नियुक्ति के लिए आवेदन करता है तो विभाग आसानी से यह प्रमाण पत्र नहीं देगा कि उनके विभाग में दूसरा काई कर्मचारी पुनर्नियुक्ति लेने वाले कर्मचारी का काम नहीं कर सकता है। मुख्य सचिव की ओर से जारी किए गए आदेश में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि विभागों में नियमित चयन की प्रक्रिया के बाद भी पुनर्नियुक्ति के प्रस्ताव आ रहे हैं। आदेश में पुनर्नियुक्ति पाए कार्मिकों से वित्तिय भार बढ़ने का भी हवाला दिया गया है।
जिन विभागों में विभागाध्यक्ष, अपर विभागाध्यक्ष के पद पूर्णतः भरे हों उन निभागों में पुनर्नियुक्ति किसी भी दशा में नहीं की जाएगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन विभाग में विशिष्ट कार्यों के सम्पादन के लिए पुनर्नियुक्ति की गई है, ऐसे कार्मिकों को विभाग में दूसरे कार्मिकों को 6 माह में प्रशिक्षित करना होगा। कुल मिलाकर त्रिवेंद्र सरकार ने पुनर्नियुक्ति को लेकर जो एक्शन लिया है, उसे साफ है कि प्रदेश में अब तक पुनर्नियुक्ति को लेकर जो खेल चलता आया है, उस पर लगाम लग जाएगी।