देहरादून : कानपुर के विकास दुबे एंकाउंटर ने उत्तराखंड में 2009 में हुए रणवीर एनकाउंटर की याद दिला दी। बस फर्क इतना है रणवीर बेकसूर था और उसके सीने पर 22 गोलियां दागी गई थी जबति कुख्यात विकास दुबे ने कइयों को खुलेआम पुलिस के सामने गोलियों से भुना था। साथ ही 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार हुआ था। उस पर हत्या, अपरहण से लेकर लूटपाट, धमकी सहित कई मामले दर्ज थे, जिसे उज्जैन से गिरफ्तार किया गया और कानपुर से कुछ ही दूरी पर उसका एंकाउंटर हुआ।
रणवीर छात्र था और विकास दुबे कुख्यात हत्यारा
बस इतना है कि कानपुर वाले विकास दुबे ने कइयों को खुलेआम दिन के उजाले में खाकी के सामने मौत के घाट उतारा था और 2 जुलाई 2020 की रात कई पुलिसकर्मियों का सीना गोलियों से छलनी किया था। फर्क इतना था कि रणवीण एमबीए का छात्र था और पढ़ाई करता था और छात्र था जबक विकास दुबे कुख्यात था.
रणवीर एंकाउंटर ने उत्तराखंड पुलिस के दामन पर कभी न धुलने वाला दाग लगाया
लेकिन बात करें रणवीर एंकाउंटर की तो रणवीर एंकाउंटर ने उत्तराखंड पुलिस के दामन पर कभी न धुलने वाला दाग लगाया था। हाईकोर्ट में साबित हुआ था कि एमबीए के छात्र रणवीर सिंह को पुलिस ने उठाकर मारा था और ये फर्जी एंकाउंटर था।
17 पुलिसकर्मियों को सुनाई थी उम्रकैद की सजा
आपको बता दें कि रणवीर एंकाउंटर में तीस हजारी कोर्ट स्थित विशेष अदालत ने दोषी ठहराए गए 17 पुलिसकर्मियों को अपहरण, हत्या की साजिश और हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। एक अन्य दोषी पुलिसकर्मी जयपाल सिंह गोसांई को दो साल की सजा दी गई। सात पुलिसकर्मियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका गया है।
6 सब इंस्पेक्टर शामिल थे
इसमें सब इंस्पेक्टर रैंक के 6 पुलिसकर्मी संतोष कुमार जायसवाल, गोपाल दत्त भट्ट, राजेश बिष्ट, नीरज कुमार, नितिन कुमार चौहान, चंद्रमोहन रावत व कांस्टेबल अजीत सिंह शामिल थे। इसके अलावा 10 अन्य दोषी पुलिसकर्मियों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने कहा कि दोषियों पर लगाए गए जुर्माने की राशि मुआवजे के तौर पर पीड़ित परिवार को दी जाए। हालांकि यह मुआवजा राशि पर्याप्त नहीं है पर यह उनके पुनर्वास के लिए जरूरी है। जुर्माने की कुल राशि 5.50 लाख रुपये होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वो दिन 3 जुलाई 2009 का दिन था। जब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल मसूरी दौरे पर थीं। इस कारण पुलिस काफी सतर्क थी। सरकुलर रोड पर आराघर चौकी प्रभारी जीडी भट्ट दोपहर के समय वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। कहा जाता है कि इसी बीच मोटर साइकिल पर आए तीन युवकों को रोका गया तो उन्होंने भट्ट पर हमला कर उनकी सर्विस रिवाल्वर लूट ली। लूटपाट के बाद तीनों बदमाश फरार हो गए।
रणबीर पुत्र रविन्द्र निवासी खेकड़ा बागपत को मुठभेेड़ के दौरान मार गिराने का दावा
कंट्रोल रुम में पुलिस को सूचना दी गई जिसके बाद पुलिस ने बदमाशों की तलाश शुरू की। करीब दो घंटे बाद लाडपुर के जंगल में बदमाशों से मुकाबले का दावा किया गया। आमने-सामने की फायरिंग में पुलिस ने रणबीर पुत्र रविन्द्र निवासी खेकड़ा बागपत को मार गिराने का दावा किया था, जबकि उसके दो साथी फरार दर्शाए थे। मौके पर ही लाइसेंस के आधार पर उसकी पहचान कर दी गई थी। उस समय अफसरों ने भी मौके पर पहुंचकर पुलिस की पीठ थपथपाई थी।
मृतक के शरीर में 22 गोलियों के निशान पाए गए थे
मिली जानकारी के अनुसार कथित मुठभेड में पुलिस ने रणवीर पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी। उस समय पुलिस ने मुठभेड़ में 29 राउंड फायरिंग किए जाने का दावा किया था। 5 जुलाई 2009 को आई पोस्टमार्टम ने पुलिस द्वारा दिखाई गई बहादुरी की पोल पट्टी खोल दी थी। मृतक के शरीर में 22 गोलियों के निशान पाए गए थे। उससे भी चौकाने वाली बात यह थी कि मात्र तीन फुट की दूरी से गोलियां चलाई गई थी।
पोस्टमार्टम में रणवीर के शरीर पर 28 चोटों के निशान होने का खुलासा हुआ।
शरीर पर आई ब्लेकनिंग से इसका खुलासा हुआ था। यह नहीं पोस्टमार्टम में रणवीर के शरीर पर 28 चोटों के निशान होने का खुलासा हुआ। जाहिर है कि यह चोटे मुठभेड में तो नहीं लगी होगी। पीएम रिपोर्ट से परिजनों द्वारा यातनाएं देकर फर्जी मुठभेड में मार गिराने के आरोपों को बल मिला है।
पुलिसकर्मियों को फांसी देने पर ही मिलेगी कलेजे को ठंडक- रणवीर के परिजन
बुरी तरह पिटाई करने के बाद रणवीर को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया गया था। इसके बाद ही छह जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ रणवीर के परिवार वाले और शहर वाले धरने पर बैठे खूब हंगामा हुआ। परिवार वालों ने पुलिस वालों को फांसी की सजा देने की मांग की। परिजनों ने कहा कि जब पुलिसकर्मियों को फांसी होगी तब उनके कलेजे को ठंड़क मिलेगी। पीड़ित पक्ष का वकील भी सजा से संतुष्ट नहीं हुए थे।
आज तक पुलिस वाले करते आ रहे एंकाउंटर से परेहज
वहीं विकास दुबे एंकाउंटर ने रणवीर एंकाउंटर की याद दिलाई। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब 18 पुलिसकर्मियों को एक साथ सजा हुआ और 17 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जब उत्तराखंड पुलिस की देश भर में किरकिरी हुई थी और तब से लेकर आज तक पुलिसवाले इससे परहेज करते आ रहे हैं।