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टिहरी : नारी शक्ति जिंदाबाद, लॉकडाउन में बंजर खेत को बनाया उपजाऊ, तैयार की नर्सरी

Reporter Khabar Uttarakhand
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appnu uttarakhand newsटिहरी गांव की बंजर पड़ी भूमि पर लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए देवप्रयाग ब्लॉक की चंद्रबदनी पट्टी के कन्याड़ी गांव की महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाकर करीब 50 नाली भूमि पर सगंध पादपों की नर्सरी तैयार कर ली है। नर्सरी में टिमरू, कचनार, आवंला, मौसमी, हल्दी, अदरक सहित कई प्रजातियों के सगंध पौधे लगाए गए हैं। गांव की महिलाओं ने छह स्वयं सहायता समूह बनाए हैं और लगभग 44 महिलाएं इनसे जुड़ी हैं। दीर्घकालीन आजीविका संवर्द्धन के लिए यह योजना गांव सहित पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। वर्तमान में नसर्री में पांच हजार से अधिक पौधे हैं।

कन्याड़ी गांव की महिलाओं ने मन में कुछ करने की ठानी

एक ओर जहां कोरोना संक्रमण से गांवों में सभी गतिविधियां ठप थी। वहीं कन्याड़ी गांव की महिलाओं ने मन में कुछ करने की ठानी और मुकाम हासिल कर लिया। खंड विकास अधिकारी सोनम गुप्ता, ग्राम विकास अधिकारी राजेंद्र बलूनी की प्ररेणा से गांव की 40 से 50 महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाया। गांव के आसपास कई हेक्टेयर भूमि बंजर पड़ी हुई थी।

बीडीओ ने कराई इस योजना के लिए 7 लाख रूपए की धनराशि स्वीकृत 

ग्राम प्रधान रेखा पंवार, महिला स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष पिंकी देवी ने कहा कि गांव की महिलाओं ने मिल बैठकर सोचा कि क्यों न आर्थिकी बढ़ाने के लिए कुछ किया जाए। गांव में जमीन लगातार बंजर हो रही है। ऐसे में इसका कैसे उपयोग करें। प्रस्ताव लेकर ब्लॉक प्रमुख सूरज पाठक के पास गए। उन्होंने बीडीओ को कार्य योजना बनाकर सहायता करने के निर्देश दिए। बीडीओ गुप्ता ने मनरेगा से इस योजना के लिए सात लाख रूपए की धनराशि स्वीकृत कराई। लॉकडाउन में ब्लॉक कार्यालय और उद्यान विभाग की मदद से किसी तरह नर्सरी के लिए सगंध पादपों के बीजों का प्रबंध किया। इनमें टिमरू (जेंथेजाइलम अरमेटम), कचनार, आंवला, अनार, मौसमी, हल्दी, अदरक आदि शामिल हैं। नर्सरी में तैयार पौधों को विभिन्न गांवों, एनजीओ और उद्यान विभाग को दिया जाएगा।

महिलाओं ने मशरूम उत्पादन, डेयरी उद्योग भी स्थापित किया

खास बात यह है कि इस नर्सरी के अलावा महिलाओं ने मशरूम उत्पादन, डेयरी उद्योग भी स्थापित किया है। इससे जहां स्वरोजगार मिलेगा वहीं गांव से पलायन भी रूक सकेगा। महिलाओं का कहना है कि जिस तरह से वर्तमान में गांव में प्रवासी लौट चुके हैं ऐसे में यदि पशुपालन, कृषि, उद्यान, सगंध पुष्प-पादप की खेती से उन्हें जोड़ा जाएग ताकि स्वरोजगार के साथ-साथ गांव के खेत भी आबाद होंगे। कहा कि लॉकडाउन के दौरान कई बाधाएं आई लेकिन विकास विभाग के अधिकारियों की मदद से सभी मुश्किलें आसान होती गई और आज नतीजा सभी के सामने है।

कृषि और उद्यान आधारित कार्यों से ही ग्रामीणों की आजीविका में सुधार लाया जा सकता है। कन्याड़ी गांव की महिलाओं ने जो प्रस्ताव दिया। उसे मनेरगा सहित कई अन्य योजना से जोड़ा है। सगंध पुष्प और पादप की खेती से भी आर्थिकी को मजबूत किया जा सकता है। यह एक प्रयोग था, जो सफल हुआ। भविष्य में यह अन्य लोगों को भी राह दिखाएगा।

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