देहरादून कोरोना भले ही घातक महामारी हो, लेकिन कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन से भारत में इससे उतनी मौतें नहीं हो रहीं जितनी रोजाना सड़क या दूसरे हादसों में होती हैं। पर्यावरण में भी इससे खासा सुधार आय़ा है। प्रदूषण कम हुआ है। बात करें उत्तराखंड की तो उत्तराखंड के देहरादून में हर दिन हादसे होते थे और प्रतिदिन सड़क हादसों में लोगों की मौत होती थी लेकिन लॉकडाउन के कारण इसमे ब्रेक लगा है। कोरोना के कारण दुनिया भर में ज्यादातर लोग घरों में बंद हैं। उत्पादक गतिविधियां न के बराबर रह गई हैं। वाहनों की आवाजाही भी अत्यंत सीमित हो गई है। इसका सकारात्मरक असर सड़क सुरक्षा पर पड़ा है तथा भारत ही नहीं, दुनिया के ज्यादातर कोरोनाग्रस्त देशों में सड़क हादसों का ग्राफ कम हो गया है।
उत्तराखंड पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों को देखकर साफ कहा जा सकता है कि लॉकडाउन के कारण देहरादून समेत सभी जिलों में सड़क हादसों से होने वाली मौतों पर ब्रेक लगा साथ ही कई अन्य अपराध जैसे हत्या, लूट, चोरी, डकैती कम हुए। बता दें कि उत्तराखंड में कोरोना के 61 मामले सामने आए हैं और खुशी की बात है कि आधे से ज्यादा मरीज ठीक हो गए हैं। वहीं कोरोना से जारी लॉकडाउन के कारण कई जिंदगियां बच गई है।
सड़क हादसों के बढ़ते ग्राफ पर लगा ब्रेक
अक्सर हमने आपने सड़कों पर लोगों को और खास तौर पर युवाओं को बाइकों, स्कूटियों और कारों में फर्राटे भरते देखा है जिस कारण सड़क हादसे हुए और कइयों की मौत हुई लेकिन इस कोरोना के कहर के कारण जारी लॉकडाउन ने सड़क हादसों के बढ़ते ग्राफ पर ब्रेक लगाया और कइयों की जिंदगियां बचाई। साथ ही इसके कारण अपराध भी कम हुए।
अप्रैल में हुई मौत के आंकड़ें
जारी आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान देहरादून में अप्रैल माह में 2 मौत हुई है। जबकि टकैती 0,वाहन लूट 5, चोरी 24। बात करें टिहरी की तो टिहरी में अप्रैल में 2 लोगों की मौत हुई। चमोली में 1, पौड़ी में 0, रुद्रप्रयाग में 0, हरिद्वार में 2, नैनीताल-1, पिथौरागढ़ में 1, चंपावत में 1, उधमसिंह नगर में 2, अल्मोड़ा में 0, बागेश्वर में 0 मौतें हुई।
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