Highlight : उत्तराखंड : संकट में पोल्ट्री फार्म व्यवसाय, मरने के कगार पर पहुंची मुर्गियां, नहीं मिल रहा दाना - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड : संकट में पोल्ट्री फार्म व्यवसाय, मरने के कगार पर पहुंची मुर्गियां, नहीं मिल रहा दाना

Reporter Khabar Uttarakhand
2 Min Read
breaking uttrakhand news

breaking uttrakhand newsहल्द्वानी : कोरोना वायरस ने कोहराम मच रखा है. मानव में तो हाहाकार है ही, अब बेजुबान जानवर भी कोरोना के चलते जो देश मे लॉकडाउन चल रहा है, उसके शिकार होने लगे हैं. लॉकडाउन का असर पॉल्ट्री फार्म (मुर्गी पालकों) पर बहुत गहरा पड़ रहा है. दाना उपलब्ध नहीं होने के चलते अब हज़ारों मुर्गियां मरने के कगार पर हैं. पॉल्ट्री फार्म मालिकों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते अब उनको मुर्गी दाना नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते वह अपनी मुर्गियों को दाना नहीं दे पा रहे हैं। जिसके चलते अब मुर्गियां मरने के कगार पर हैं.

देखा जाए तो एक पॉल्ट्री फार्म को प्रतिदिन 3 से 4 कुंटल मुर्गी दाने की जरूरत होती है, जिसकी लागत प्रतिदिन 12 से 13 हज़ार रुपये आ रही है, लेकिन मुर्गी दाना लॉकडाउन के चलते मिल ही नही रहा है. ऐसे में अगर उनकी मुर्गियां मरती हैं तो इससे उन्हें लाखों का नुकसान तो होगा ही साथ ही महामारी की भी आशंका बन सकती है. कोरोना वायरस के चलते आजकल चिकन की डिमांड कम हो गई है, लोगों ने इस महामारी के डर से चिकन खाना कम कर दिया है। जिसका सीधा असर मुर्गी पालकों के व्यवसाय पर पड़ रहा है.

पहले 80 रुपए प्रति किलो बिकने वाला मुर्गा अब 20 रुपए प्रति किलो भी नहीं बिक पा रहा है। ऐसे समय मे सरकार को कोई ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे कि उन्हें मुर्गियों को दाना उपलब्ध हो सके या इन मुर्गियों को डिस्पोज कर उनको मुआवजा दिया जाये ताकि मुर्गियों के ऐसे ही मरने से महामारी जैसी परिस्थितियां पैदा न हो। वही, एसडीएम हल्द्वानी विवेक राय का कहना है कि मुर्गा पालन के व्यापार में कोई रोक-टोक नही है. अगर व्यवसाइयों द्वारा बीमार मुर्गियां बाजार में बेची जाएंगी तो कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

Share This Article