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उत्तराखंड : तू रोना मत मां, मैं फिर जन्म लूंगा और वन दारोगा की भर्ती पूरी करुंगा…लिख युवक ने की आत्महत्या

Reporter Khabar Uttarakhand
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BEROJGAR SUISIDE

BEROJGAR SUISIDE

मैं फिर जन्म लूंगा मां और वन दारोगा की भर्ती पूरी करुंगा… एक परेशान बेरोजगार युवक ने यही लाइनें लिखकर आत्महत्या करली। आपको बता दें कि चमोली के नंदप्रयाग मंदरौली गांव के युवक संदीप ने उत्तराखंड में वन दारोगा की भर्ती न होने पर परेशान होकर आत्म हत्या कर ली। संदीप ने वन दारोगा की भर्ती परीक्षा पास करने के लिए जी तोड़ मेहनत की लेकिन परीक्षा में धांधली का मामला सामने आया और कई आरोपी गिरफ्तार हुए लेकिन परीक्षा नहीं हुई। वहीं वन दारोगा की नियमावली में बदलाव किया गया। जब वन दारोगा की भर्ती परीक्षा में धांधली का मामला सामने आया तो कई अधिकारी से लेकर कई कोचिंग संचालक गिरफ्तार हुए। वहीं अभ्यार्थियों ने 100 दिन के अंदर फिर से भर्ती करने की सरकार से मांग की गई लेकिन ये भर्ती ठंडे बस्ते में चली गई। उत्तराखंड में नौकरियों का टोटा है। इस बात से सब वाकिफ हैं कि उत्तराखंड में बेरोजगारों द्वारा काफी प्रदर्शन किया गया लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। बेरोजगारों पर लाठीचार्ज किया गया। नौजवानों ने डंडे तक खाए लेकिन नौकरी की मांग की और वो आज तक घर बैठें हैं। और कोरोना काल में तो प्राइवेट सेक्टर के हाल बेहाल है ऐसे में बेरोजगार करे तो क्या करे।

पर तुम रोना मत मां, मैं फिर दोबारा जन्म लूंगा और वन दारोगा की भर्ती पूर्ण करुंगा…

बता दें कि युवक ने आत्महत्या से पहले एक पोस्ट लिखी और सरकार की नीति पर सवाल खड़े किए। युवक ने पोस्ट अपनी मां के नाम लिखी. युवक ने लिखा कि जिंगदी में आगे क्या लिखा है…I DONT KNOW…मैं अपनी जिंदगी को इस मोड़ पर विराम दे रहा हूं।मुझे मालूम है सबसे ज्यादा तकलीफ मेरी मां को होगी। आगे युवक ने उत्तराखंड सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए . लिखा कि पढ़े लिखे बेरोजगार ऐसी ही ड्रिप्रेशन में जाएंगे। और अपने जीवन को उसी कड़ी में विराम देंगे। पर तुम रोना मत मां, मैं फिर दोबारा जन्म लूंगा और वन दारोगा की भर्ती पूर्ण करुंगा।

18 दिसंबर 2019 को जारी हुई थी विज्ञप्ति 

गौर हो कि नैनीताल हाईकोर्ट ने वन दारोगा के 316 पदों पर भर्ती के लिए 18 दिसंबर 2019 को जारी विज्ञप्ति पर रोक लगाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे। याचिका दायर करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा था कि शासन ने इस नियमावली में 2018 में संशोधन कर दिया है, जिसमें फॉरेस्ट गार्ड को वन दरोगा के पद पर पदोन्नति के लिए कम से कम 10 वर्ष की सेवा फॉरेस्ट गार्ड के पद पर करनी अनिवार्य होगी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस विज्ञप्ति के अनुसार वन दरोगा के सभी पदों को सीधी भर्ती से भरा जा रहा है, जो नियमावली के विपरीत है।याचिका में वन दरोगा के पद पर पदोन्नति के लिए फॉरेस्ट गार्ड के रूप में 10 वर्ष की न्यूनतम सेवा की बाध्यता को भी समाप्त करने की मांग की गई थी। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 18 दिसंबर 2019 को जारी विज्ञप्ति पर रोक लगाते हुए सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।

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