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कभी दिल्ली पुलिस में SI थे राकेश टिकैत, किसानों की लड़ाई के लिए छोड़ दी थी सरकारी नौकरी

Reporter Khabar Uttarakhand
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Indian Farmer's Union

Indian Farmer's Unionनई दिल्ली: 26 जनवरी को जहां किसानों का रोद्र रुप और कदम पीछे न हटाने का जज्बा दिखा तो वहीं अब हिंसा के बाद कई संगठनों ने इस आंदोलन से अपना हाथ पीछे खींचा। कई किसान नेताओं के सुर बदले. वहीं किसान नेता राकेश टिकैत एक बार फिर से चर्चा में हैं. जी हां बता दें कि बीते दिन राकेश टिकैत आंदोलन से संगठनों को पीछे हटता देख मीडिया के सामने रोने लगे और कहा कि आंदोलन खत्म नहीं होगा। राकेश टिकैत ने कहा कि ये भाजपा सरकार के काम है जो हिंसा करवा रही है और आंदोलन खत्म कराना चाहती है जो की कभी खत्म नहीं होगा। आपको बता दें कि राकेश टिकैत कभी दिल्ली पुलिस में थे, लेकिन किसानों की लड़ाई लड़ने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी. दो बार लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.

राकेश टिकैत के हाथ भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की कमान 

आपको बता दें कि राकेश टिकैत किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे है जिनके पास इस वक्त भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की कमान है और यह संगठन उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के साथ-साथ पूरे देश में फैला हुआ है. राकेश टिकैत की एक आवाज से यूपी से लेकर उत्तर भारत के किसान एक हो जाते हैं। राकेश टिकैत की रोने वाली वीडियो वायरल होने के बाद एक बार फिर से भीड़ जुटनी शुरु हो गई है।

मेरठ यूनिवर्सिटी से की एमए की पढ़ाई

आपको बता दें कि राकेश टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था. उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की है. उसके बाद एलएलबी किया.राकेश टिकैत की शादी वर्ष 1985 में बागपत जनपद के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी. राकेश टिकैत का एक बेटा चरण सिंह और दो बेटियां सीमा और ज्योति हैं जिनकी शादी हो चुकी है.

दिल्ली पुलिस में करते थे नौकरी 

टिकैत 1992 में दिल्ली पुलिस की नौकरी करते थे, लेकिन 1993-1994 में दिल्ली के लाल किले पर स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था. चूंकि राकेश टिकैत इसी परिवार से आते थे, इसलिए सरकार ने आंदोलन खत्म कराने का उन पर दबाव बनाया. सरकार ने कहा कि वह अपने पिता और भाइयों को आंदोलन खत्म करने को कहें, जिसके बाद राकेश टिकैत पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे. बस नौकरी छोड़ने के बाद राकेस टिकैत किसानों के लिए लड़ने लगे और उनको हक दिलाने के लिए मैदान में कूद गए। अब कमान उनके हाथ में है

बता दें कि राकेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत की मौत के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया, क्योंकि खाप के नियमों के मुताबिक बड़ा बेटा ही मुखिया हो सकता है, लेकिन व्यवहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं. राकेश टिकैत की संगठन क्षमता को देखते हुए उन्हें भारतीय किसान यूनियन का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया गया था. जबकि उनके बड़े भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं.भारतीय किसान यूनियन की नींव 1987 में उस समय रखी गई थी.

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