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हरदा का भगत पर पलटवार : मेरे नाटक के प्रभाव के कारण ही 5 रूपया नाली बिकने वाला मडुआ आज 40 में बिक रहा

Reporter Khabar Uttarakhand
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BANSIDHAR BHAGAT

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देहरादून : पूर्व हरीश रावत ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के बयान पर पलटवार किया है। हरीश रावत ने बंशीधर भगत के नौटंकी वाले बयान पर सोशल मीडिया के जरिए पलटवार किया और एक पोस्ट शेयर की। दोनों के बीच जुबानी जंग जारी है जो बढ़ती ही जा रही है। कभी तंज कसते हुए दोनों एक दूसरे पर वार कर रहे हैं तो कभी सरकार को आड़े हाथ लिए हरीश रावत बंशीधर भगत पर वार कर रहे हैं।

हरीश रावत की पोस्ट

हरीश रावत ने लिखा कि बंशीधर भगत जी कहते हैं कि उत्तराखंडी खान-पान अनाज आदि की बात हरीश रावत का नाटक है। बंशीधर जी ये हरीश रावत के नाटक का ही प्रभाव है कि 5 रूपया नाली बिकने वाला मडुआ, आज मडुवे का आटा 40 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है, जिस गेठी को लोग जानते नहीं थे, वो गेठी आज 60 रुपये किलो भी उत्तराखंड के बाजारों में लोगों को मिल नहीं पा रही है और भी बहुत सारे उत्पाद हैं। हमने मडुआ, चौलाई, राजमा, काले भट्ट, मास, इन सबके लिये न्यूनतम खरीद मूल्य के साथ-साथ बोनस की योजना भी शुरू की और आपकी सरकार आयी, आपने बोनस की योजना को समाप्त कर दिया। हमारे समय में वर्ष 2016-17 में मडुवे का रकबा 10 प्रतिशत बढ़ा, जब आप आये तो मडुवे का रकबा आज 12 प्रतिशत घट गया है। आज हमारे ही नाटक का परिणाम है कि एक बहुत समझदार वरिष्ठ अधिकारी ने अपने विभाग की मैस में उत्तराखंडी व्यंजनों को परोसना अनिवार्य कर दिया है, तो माननीय भगत जी आप द्वारा हमारा कथित नाटक ही लोगों के सोच और जीवन में परिवर्तन ला रहा है, वैसे नाटक तो आप भी अच्छा कर लेते हैं।

बंशीधर भगत का बयान

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा था कि पूर्व सीएम व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत जनता के बाद उनकी पार्टी हाई कमान के द्वारा भी दरकिनार किए जाने से परेशान हैं। बंशीधर भगत ने उन पर की गए टिप्पणी का सयंमित जबाब देते हुए कहा कि हरीश रावत सुर्ख़ियों में रहने के लिए सुबह शाम नाश्ते की टेबल से लेकर दोपहर और रात में पहाड़ी व्यंजनों और उत्पादों का सहारा लेते रहे हैं। उनकी खान पान और पहाड़ प्रेम की नोटंकी से अब लोग ऊब गए हैं।

उन्होंने कहा कि अगर, वह पहाड़ और संस्कृति सहित पहाड़ के उत्पादों के प्रति इतने ही सजग होते तो अपने मुख्यमंत्री रहते हुए इस दिशा में ठोस कदम उठाते। कोदा, झंगोरा, गीन्थी,माल्टा और कई पार्टिया करने वाले रावत आज अब खुद को जमीन से जुड़े होने का नाटक लोगो और अपनी पार्टी के लोगो के सामने कर रहे है। असल में हरीश रावत आहत और परेशान है। वह पहले अपने समर्थको को भड़काकर हाई कमान पर दबाव बना रहे थे कि उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे,लेकिन अब हाई कमान ने भी दो टूक उन्हें सुना दी है।

बंशीधर भगत ने कहा कि हरीश रावत 2017 में कांग्रेस पार्टी के चेहरा थे, लेकिन उनके कार्यकाल की अराजकता और घपले घोटालो ( जिनको वह विकास कहते है ) ने पार्टी का बेडा गर्क कर दिया। उन्होंने कहा की उनके बयान किसी को हंसा सकते है लेकिन हरीश रावत के काम रुला सकते है यह प्रमाणित है। बंशीधर भगत ने हरीश रावत के कार्यकाल को प्रदेश की जनता के लिए सर्वाधिक अराजकता व रुलाने वाला बताते हुए उनके कार्यकाल के दौरान एक कार्यकम में उनके पांव पर लौटती और दुःख से कराह रही महिला की पीड़ा पर भी न पसीजने वाले रावत का हँसता हुआ चेहरा सबको याद है।

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