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देहरादून : कोरोना काल में आखिरी साल की परीक्षा, आखिर स्वास्थ्य की गारंटी किसकी…यूनिवर्सिटी या सरकार की?

Reporter Khabar Uttarakhand
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ayodhaya ram mandir

ayodhaya ram mandirदेहरादून : कोरोना वायरस महामारी से पूरा देश जूझ रहा है। कोविड19 के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। सभी स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद हैं। ऐसे में कोरोना संकट से निपटने में जुटी यूनिवर्सिटी फिलहाल आखिरी साल छोड़कर बाकी कक्षाओं के छात्रों को बगैर परीक्षा लिए ही अगली कक्षा या सेमेस्टर में प्रमोट कर सकते हैं।

कोरोना महामारी का कहर उत्तराखंड में जारी है। ऐसे में छात्र-छात्राओं के लिए सकंट की घड़ी आ गई है, यूनिवर्सिटी द्वारा आखिरी साल के छात्र छात्राओं के लिए पेपर की डेट शीट निकाल दी गई है। वहीं समय-समय पर उसमें बदलाव किया जा रहा है। देहरादून जो शिक्षा हब के लिए जाना जाता है, जहां हजारों छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए यहां आते हैं। वही इस संकट की घड़ी में उनके लिए मुसीबत दुगुनी हो गई है। आखिर यूनिवर्सिटी में पेपर कैसे देने हैं, कैसे दूर दराज से छात्र पेपर देने आएंगे ये बड़ा सवाल है। क्या सभी प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी तैयार हैं, क्या वहां सुख सुविधा सारी मौजूद हैं ये भी एक कोरोना के कहर के बीच बड़ा सवाल है।

स्टूडेंट्स और अभिभावक परेशान, कैसे जाएंगे परीक्षा देने कॉलेज?

एक तरफ तो करोना दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं छात्र-छात्राएं परेशान है कि कैसे वह यहां पहुंच पाएंगे।क्योंकि कई बच्चे दूर दराज से आते हैं और वाहनों का संचालन कम ही हो रहा है। किसी स्टूडेंट्स के पास कॉलेज आने के लिए वाहन नहीं है तो किसी के पास फीस देने के लिए पैसा नहीं है। तो वहीं कई छात्र-छात्राएं कोरोना पॉजिटिव हैं। कई छात्र-छात्राएं विक्रम और सिटी बस से पढ़ने कॉलेज आते हैं। अगर पेपर देने नहीं पहुंच पाए तो कैसे पास हो पाएंगे। वहीं दूसरी और टीचर भी परेशान हैं कि दूरदराज के क्षेत्रों से अगर छात्र छात्राएं यहां पहुंचते हैं, अगर उनमें से कोई एक को भी अगर कोरोना से संक्रमित रहा तो संक्रमण का खतरा बढ़ेगा औऱ ऐसे में कइयों की जान का खतरा भी रहेगा।

छात्र छात्राओं के स्वास्थ्य की गारंटी आखिर कौन लेगा?

देहरादून कॉलेज के टीचरों का कहना है कि कोरोना काल में आखिरी साल की परीक्षा कराई जा रही है लेकिन आखिर इस सब के लिए जिम्मेदार कौन होगा। वहीं छात्र-छात्राओं के माता-पिता भी अपने बच्चों को भेजने के इच्छुक नहीं हैं। छात्र छात्राओं के स्वास्थ्य की गारंटी आखिर कौन लेगा या कॉलेज यूनिवर्सिटी या सरकार?

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